One Line Caption | One Line Caption for Instagram

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दोस्तों आपका स्वागत है nowinhindi.in में वेबसाइट में जो आपके लिये One Line Caption for Instagram लेकर आया है.

दोस्तों अगर आप Instagram और Whatsapp पर एक अच्छा One Line Caption अपने Whatsapp Bio और Intagram Bio में तैयार करना है या आप सोंच रहे है तो आपको परेशान होने की जरुरत नहीं है, यहाँ पर हमने आपके लिये बहुत सारे Best One Line Caption लिख कर शेयर किये है.

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वो तो आता नहीं कभी मगर आलम ये है की रोना बहुत आता है।

वाकिए तो हाल-फिलहाल बस यही होते रहते हैं, बाहर से मुस्कुराते रहते हैं, अंदर ही अंदर रोते रहते हैं।

पाता कुछ भी नहीं खोता बहुत है, एक आशिक़ सच्ची वफ़ा में रोता बहुत है।

आंसू आते हैं तो उसे पसीना बता कर टाल दिया करते हैं, कुछ ऐसे करके हम अपने दर्द निकाल लिया करते हैं।

एक वो है जो आकर गले से लगता नहीं, एक मायूसी है जो गले पड़े रहती है।

किसी ने सच ही कहा है आँखें झूठ नहीं कहती है, खुशियों में हसती है दुःख में बहती है।

तुझे जाने से तो रोक ना सके, मगर आंसुओं को हम बखूबी रोक लेते हैं।

कुछ इसलिए भी अब नहीं रोते की रोने से तुम मेरे तो नहीं हो जाओगे ना।

हम बस यूँ ही रोते रहे, वो यूँ ही किसी और के होते रहे।

तेरा कन्धा नहीं है अब मगर खूब रोते है दीवारों से लिपटकर।

कभी रो देते हैं तो कभी मुस्कुरा देते हैं तेरा नाम लेकर, जी रहे हैं ज़िन्दगी दर्द सीने में तमाम लेकर।

One Line Caption for Instagram

जिनकी क़िस्मत में लिखा होता है रोना, उनके ख़ुशी में भी आंसू निकल आते हैं।

हर रात में रोते हैं हर बात पे रोते होते हैं, हम वो तो नहीं बदकिस्मती से जो हर रात में सोते हैं।

कमबख्त ये रोना भी उसी के लिए आता है, जो कभी चुप करने नहीं आएगा।

मुस्कुराने को तो साथी कई मिलते हैं, मगर अकेला पाते हैं खुद को जब भी रोना आता है।

आँखों ने छोड़ दी आखिरकार रोने की आदत, मगर ये दिल आज भी गम में डूबा रहता है।

एक यार चाहिए मुझे मेरी नज़रों सा, की दिल अगर मेरा दुखे तो आँखें उसकी भी भीगे।

सभी को सभा में हसाने वाले, अकेले में बेहिसाब रोया करते हैं जनाब।

किसी के सामने हम यूँ करके भी नहीं रोते, की कोई आंसू पोंछ तो सकता है मगर चुप नहीं करा सकता हमे।

खुशियों में साथ मुस्कुराने का नाटक तो सारा ज़माना करता है, मगर गम तो अकेले ही दबाना पड़ता है।

हालातों की दुनिया दोनों के लिए कुछ एक सी बन गई, उसका दिल भर गया और मेरी आँखें भर गई।

यूँ ही तो नहीं रोता कोई मोहोब्बत में, किसी एक का दिल भरता है तभी दुसरे की आँखें भर जाती है।

वो इस कदर ओझल हुआ ज़िन्दगी से की आँखों को भी कानों-कान खबर नहीं हुई।

मोहोब्बत का जो मेरी खून हो गया, तो फिर क्या था खून के आंसू रोए हम।

वो रोना बंद कर देते हैं हमेशा के लिए, जिनके पास कभी कोई चुप कराने के लिए होता ही नहीं।

आंसुओं को इतनी मोहोब्बत हो गई है हमसे, की कोई आए ना आए रोना आ ही जाता है।

हसते है वही आज हालातों पर हमारे, जिनकी वजह से हमारी ये हालत हुई है।

एक रात नहीं जो नींद आ जाए मगर हर रात इन आँखों को रोना आ जाता है।

आंसुओं ने निकलते निकलते बस इतना सा कहा की उसके चले जाने से हमे क्यों निकाल रहे हो।

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देखा तो था आईने में नज़रों से नज़रों को कई दफा, मगर इसमें इतने आंसू होंगे ये मालूम न था।

पहले मुझे रोना नहीं आता था, तेरी जुदाई ने मुझे ये हुनर भी सीखा दिया।

ज़माने में सारे ज़माने को हसाने वाले अक्सर अकेले में फूट-फूट कर रोया करते हैं।

मेरी नज़रे जैसे घड़ा हो कोई, फूट-फूट कर अब ये रोया करती है।

देर रात तेरी याद, गीले तकिए गीली आँख।

मेरी शायरी में दर्द इतना है तो सोचो दिल में कितना होगा।

 

दिल दरिया और आँखें समंदर हो गई, तेरी मोहोब्बत में ज़िन्दगी बद से बत्तर हो गई।

दिल के दौरे का इलाज है मोहोब्बत में उठा हुआ दिल का दर्द आज भी लाइलाज है।

दर्द की स्याही से लिखी है शायरी जो पढ़ेगा उसे भी चुभेगी।

 

दर्द की जुबां होती काश मैं अपनी जुबां से बयां करूँ वो आलफ़ाज़ नहीं है मेरे पास।

दर्द की दवा क़रीब नज़र नहीं आ रही और एक ये दर्द है जो दूर हो नहीं रहा।

दर्द कद इतना बढ़ गया है अब की कम्बख्त ये दब ही नहीं पा रहा।

दर्द अनगिनत जो मिले हुए हैं मुझे, सब एक के ही दिए हुए हैं मुझे।

इश्क़ में दर्द और सुकून एक साथ मिलता है, जो एक साथ हाथों हाथ मिलता है।

वो पूछ ले जो दर्द किस चीज़ का है मुझको, फिर दर्द किस चीज़ का है मुझे जो वो पूछ ले।

खामियां लाख नज़र आती है मेरे चाल चलन में तुम्हे, नज़र मेरे पैरों का घाव नहीं आता।

ज़माना बेदर्द है इतना जो पहले दर्द देता है फिर उस दर्द का मज़ाक बनता है।

अपने दर्द की तुलना मुझ से मत करो, मेरे दर्द को देखकर तो दर्द को भी दर्द होता है।

वो सर्दियों की शामों में बर्फ का काम करता है, मेरा सनम मेरे बुरे वक़्त में और दर्द का काम करता है।

दम नाक में और दर्द सीने में देकर, चला गया वो मेरा सारा सुकून लेकर ,’

तुम कैसे समझोगे दर्द को मेरे, मैं खुद इसका हिसाब लगा नहीं पाया।

दर्द दिलों का बढ़ा कर रख रखा है, इश्क़ देख तूने ये क्या कर रखा है।

दर्द हाल-ऐ-दिल का बयां कैसे करूँ, ना सुनने के लिए लोग मिल रहे हैं और ना सुनाने के लिए अलफ़ाज़ मिल रहे हैं।

कितना दर्द लिख रखा है शायरी में मैंने, तुम आँखों का पर्दा उठाकर पढ़ो तो सही।

दर्द खुद बखुद कम हो जाएं जो ये दर्द देने वालों की तादाद थम जाए।

ज़िम्मेदारियाँ आई ढेर सारा फ़र्ज़ आया, मैं लड़का था इकलौता घर का मेरे हिस्से में दर्द आया।

दर्द दुखते हैं मगर दीखते नहीं, कोई सुनने वाला होता अगर तो हम शायरी लिखते नहीं।

दर्द के दुकानदार इतने बढ़ते जा रहे है, की सुकून के सौदागरों की कमी पद गई है

करोड़ों आंसू और लाखों गम लिखे हैं, मेरी क़िस्मत में तो बस सितम लिखें हैं।

फिर उन दर्दों की कैसे गिनती की जाए भला, जो की अनगिनत हों।

संभाला बहुत खुद को फिर भी संभल ना सके, तेरे बिना दो क़दम भी और हम चल ना सके।

काश की कोई शक़्स इतना क़ाबिल हो, सेह सके वो गम मोहोब्बत में जितना हासिल हो।

जिसमे सहनशक्ति ना हो गम झेलने की, कोशिश भी मत करना दिल का खेल खेलने की।

दर्द के दरबान में मुझे राजा चुना गया, दर्द को भी दर्दः होने लगा जब मेरा दर्द सुना गया।

दर्द सितम और जख्म कितने, गिनाऊँ क्या मेरे दिल के घर में है गम कितने।

कैसे फिर भला भरोसा कर लूँ तुझे, सुकून के भेस में भी दर्द मिले हैं मुझे।

जिसे दर्द संभाला ना आ सका उसे सुकून की अहमियत क्या ख़ाक होगी।

दर्द मेरे दर्ज है दिल में, कुछ मिले तेरी गली में कुछ मिले तेरी महफ़िल में।

दर्द का अगर पैसा होता जनाब हमारा महल सबसे आलिशान होता।

 

एक शख्स है जो दिल से निकलता नहीं, एक आंसू है जो रुकते ही नहीं।

उसे मुझपर ऐतबार क्यों नहीं, मैं झूठी खबरे चलाने वाला अखबार तो नहीं।

मसले ज़िन्दगी में उलझते जा रहे हैं, हम बिखरते जा रहे हैं हमे उजाड़ने वाले सँभालते जा रहे हैं।

ज़िन्दगी जान लेने पर तुली हुई है तब से, जब से उसे मैंने जान बना लिया है।

तेरी और चलते रहे बस, फिर ना सड़क का पता लगा ना सफर का।

कुछ बीमारियां लाइलाज होती है कुछ खाब लाह्सील होते हैं, कुछ क़िस्मत खराब होने के कारण भी नाक़ाबिल होते हैं।

खो गया एक दिन किसी की तलाश में, चैन थे उसका नाम।

ख़्वाब हसीं थे कैद अंदर मेरी आँखों के, मगर अफ़सोस हैसियत से ज़रा बहार थे।

आज कल तभी कोई मतलब रखता है जब कोई मतलब होता है।

वजन उसी की बातों का माना जाता है जनाब, जेब जिसकी भारी होती है।

जब तक क़िस्मत की लकीरें ना हो तब तक कुछ भी पकड़ने की कोशिश करो हाथ खाली ही रहता है।

दिल को धड़कना कहाँ आता था, इसे दिल बनाया आपने।

एक शक़्स है अंदर मेरे, जो बाहरी दुनिया पर भरोसा करने नहीं देता।

तुझे ख़्वाब बना लिया है मैंने, मैं नीड में रहूँ तो मेरा क़सूर क्या।

हालत मत पूछो हालात मत पूछो, कोई बात करने वाला नहीं है तुम कोई बात मत पूछो।

काले आसमान सी ज़िन्दगी है मेरी, और सितारे भी सारे गर्दिश में है।

ये खेल अजीब है कुदरत का, जहाँ भी चल पड़ो निकल आता है खुद रास्ता।

शिफारिशें साड़ी जाया जाती है, मोहोब्बत की अदालत बड़ी नाइंसाफी करती है।

सख्त लहजो के पीछे दिल नरम रखते हैं, क्या करें हम दिल में सनम रखते हैं।

लगता नहीं कुछ होगा, जो रहा है शक़्स कभी खुश होगा।

एक मन मितव जो मिटता ही नहीं, मैं जिसके ख्यालों में खोया रहता हूँ वो मिलता ही नहीं।

पूरे मन से जिसका मंथन किया मैंने, जिसे पाने का जातां किया मैंने, उसे पाने की खातिर खुद से ही खुद को गबन किया मैंने।

मन के मंज़र पर तो रोज़ आते हैं ख्याल तेरे, तू दिल की देहलीज़ पर कब आएगी ये पता नहीं।

तुझे मन से माना है अपना मैंने, बेमन से ना मुझे अपना कहा कर।

अब तो मन भी नहीं करता खुश रहने का, कुछ इस क़दर हुनर सीख गया हूँ मैं गम सहने का।

उसने तो कह दिया की तुम कुछ नहीं मेरे लिए, मगर मन आज भी उसके बगैर मानता नहीं।

ना मन लगता है ना दिल लगता है, जीना एक पल भी बगैर तेरे मुश्किल लगता है।

मन को मनाता हूँ की रहना सीख ले तेरे बगैर, फ़िज़ूल ही जाती है साड़ी कोशिशें तो खैर।

मन की बातों का बवाल उठ रहा है, जिनके नीचे गरीबों की मांग दबी पड़ी है।

मांगता हूँ कितनी दफा तुझे कभी रब से पूछ, जीना कितना मुश्किल है बगैर तेरे कभी मेरे मन से पूछ।

सुनाने को बातें बहरों से कहूँ, इससे तो बेहतर यही की बातें मन में रखूं।

मन कर रहा था की मन लूँ उसे, मगर वो रूठा नहीं बस दूर जा रहा था मुझसे।

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उसके बगैर मन लगेगा नहीं, लगेगा लगने लगा है मगर लगेगा नहीं।

मन नहीं लगता दिल नहीं लगता, मैं उसपर नज़रे लगाए फिरता हूँ जो मेरे मुँह नहीं लगता।

खुदा ने तो बस काले और सफ़ेद रंग जो बनाया था, उसे अच्छा या बुरा तो इंसानों ने बनाया है।

अगर काला रंग खराब होता जनाब तो खुदा उसे बनता ही नहीं।

आज का सच तो यही है जनाब की चमड़ी सफ़ेद है सभी की मगर दिल बहुत काले हैं।

चेहरा भले चाँद सा हो एक ना एक दिन तो ढल ही जाना है।

काला चेहरे का रंग नहीं देखने वाले का दिल होता है।

ब्लैक एंड वाइट ज़माने में दिल साफ़ हुआ करते थे, इस रंगीन ज़माने में दिल बड़े काले हैं।

सभी को खुद पर काला रंग जचता बहुत है, मगर फिर भी चमड़ी अगर काली हो तो सभी को खलता बहुत है।

आज आ गया शायरानापन मेरे मिज़ाज में, जब देखा सनम को हमने काले लिबाज़ में।

यूँ देखकर चेहरे का रंग होना चाहिए तंग नहीं, काली सोच बुरी होती है चेहरे का रंग नहीं।

दिल सोच और करतूत जिसकी काली है, सभी के घर अँधेरा बस उसके घर दिवाली है।

दस्तूर है ये दुनिया का लड़की के चेहरे का रंग और लड़के की जेब का कद देखा जाता है।

बताया नहीं जा सकता की कौन Wrong और कौन White है, क्यूंकि असल में सब ब्लैक एंड वाइट है।

पूर्ण भी है ज़िन्दगी और ज़िंदगी में भेद भी है, ज़िन्दगी क्यूंकि कुछ काली भी है और कुछ सफ़ेद भी है।

मामलों का काफिला कभी कभी संगीन भी होना चाहिए, ब्लैक एंड वाइट तो रोज़ रहती है ज़िन्दगी कभी कभी रनग भी होना चाहिए।

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ब्लैक एंड वाइट फिल्मों के ज़माने में दिल सभी के साफ़ थे, जब से फिल्म रंगीन हुई दिल काले हो गए।

चेहरे का रंग काला हो या सफ़ेद क्या फ़र्क़ पड़ता है, अगर दिल अच्छा है तो फिर क्या फ़र्क़ पड़ता है।

चेहरे की ख़ूबसूरती आँखों को अपनी और खींचती है मगर दिल की ख़ूबसूरती कई दिलों को अपनी और खींचती है।

सिर्फ इंसान का दिल ज़िंदा हो काफी नहीं, इंसान ज़िंदा दिल भी होना चाहिए।

ये दुनिया दिखने में ही रंगीन है जनाब, इसका दिल फितरत और करतूत बहुत काली है।

ये दुनिया जो बहार से दिखती भोली-भाली है, असल में अंदर से बहुत काली है।

दिल तो सभी के पास होता है मगर दिल वाला हर कोई नहीं होता।

दुनिया के काले रंग पर क्या मज़ाक बनाए, इस दुनिया को बनाने वाले श्री कृष्ण भी काले ही थे।

उस चेहरे के सफ़ेद रंग का कोई फायदा नहीं जिसका दिल ही ना साफ़ हो।

देख रहा हूँ यार को पहली दफा इतने ढंग से, जैसे काली तख्ती पर जैसे लिखा गया हो सफ़ेद रंग से।

काला रंग कैसा भी हो और रंगों की तरह अपने रंग नहीं बदलता।

चेहरे का रंग उसका सफ़ेद ही रहा, मगर दिल ने उसके कई रंग बदले।

उस चेहरे की चमक फीकी पड़ने लगती है, जिसकी आदतें खराब लगने लगती है।

ब्लैक एंड वाइट का ज़माना सादगी का था, ज़माना क्या बदला लोग रंग बदलने लगे।

काला रंग इतना पसंद था उन्हें की उन्होंने अपनी फितरत का रंग भी वही चुन रखा था।

नसीब भी कितना अजीब है, उसका हाथ तो मेरे हाथ में है मगर उसका साथ मेरी क़िस्मत में नहीं ।

मेरे अपने मुझे कोसते है और मैं अपनी क़िस्मत को।

मैं तो आना चाहता हूँ क़रीब तेरे, मगर मेरी क़िस्मत की लकीरें मुझे तुझ तक पहुँचने नहीं देती।

तुझे पाना खेल नसीब का है और नसीब के खेल में आज तक मैं एक बाज़ी भी नहीं जीता।

मेरी लकीरें हाथों की मुझे हर बार गम तक ले जाती है।

वो तो दे देगी साथ मेरा, मगर मुझे मेरे नसीब पर भरोसा नहीं।

मुझे क्या ही मालूम था मेरी ही हाथों की लकीरें मेरे गले का फंदा बन जाएगी।

उसे दूँ या दूँ दोष नसीब को मैं, रात को चैन मिले रोने में तो दूँ दोष दिन को मैं।

स्याही शायद आंसुओं की इस्तेमाल की है खुदा ने, मेरे नसीब में बस गम लिखा है।

लोग पूछते हैं की क्यों तू इतनी मेहनत करता है, मैं कहता हूँ मुझे मेरे नसीब पर ज़रा भी भरोसा नहीं।

उसे चाहता रहा सच्चे दिल से सालों से, मगर मगर वो थी लिखी थी क़िस्मत वालों के।

वो क़िस्मत वालों को मिलने वाली थी और क़िस्मत तो मुझे मिली ही नहीं।

यूँ ही नहीं खफा हूँ मैं, बड़ी ळझि हुई क़िस्मत में आकर फंसा हूँ मैं।

क्या कोसूं उसे, जब मेरी अपनी क़िस्मत ने मेरा साथ नहीं दिया वो तो फिर भी गैर थी।

नसीब वाले कामियाबी पाकर कहते हैं मेहनत करो, मेहनत करने वालों को कहने का मौका ही नहीं मिलता की जीत उनके नसीब में नहीं।

ऐ मेरे नसीब तू मेरे हाथ में होकर भी क्यों मेरे हाथ नहीं आता।

फिर भला कैसे मिलती वो मुझे, वो सबसे अच्छी थी और मेरा तो नसीब ही खराब है।

मैंने लोगों से सुना है नसीब वालों को मिलती है मोहोब्बत, मतलब की मेरा मोहोब्बत ढूंढने का कोई फायदा नहीं।

अब समझ आया क्यों होती है मुझको मिली हर चीज़ खराब, किसी और का दोष नहीं मेरा अपना ही है नसीब खराब।

तुझसे क्या गिला करें हम, ये साड़ी तो हमारे नसीब की गलती है।

ज़िन्दगी ये जुआ अजीब सा है, इंसान सोचता है सब उसने किया है मगर ये खेल नसीब का है।

कभी नसीब तो कभी उसे गलत ठहराते रहे, साँसों को अपने इसी बहाने चलाते रहे।

उनसे मोहोब्बत बड़ी कमाल होती है, जिनका होना नसीब में नहीं होता।

मेरी बदनसीबी देखो मुझे मोहोब्बत भी उससे थी जो बड़े नसीब वालों की किस्मत में थी।

जानते हो सनम हम पास आकर भी क्यों दूर रह गए , क्यूंकि हम तो एक दुसरे से मिलते है मगर हमारी लकीरें नहीं।

अगर खेल नसीब का है तो मेरी हार पक्की है, क्या करें नाजाने किस कलम से खुदा ने मेरी क़िस्मत लिख रखी है।

दुनिया में रहकर ही दुनिया को दोष दू, इससे तो बेहतर यही होगा की मैं कोई दूसरा जिस्म खोज लूँ।

जानते हो क्यों वो मेरे क़रीब में नहीं, क्यूंकि उसे पाना मेरे नसीब में नहीं।

जब मेरा नसीब ही मेरा नहीं तू तो फिर भी पराया है सनम।

आदत हो गई है यलगार करना, मैं वही ख्वाहिश रखता हूँ जो नसीब में नहीं।

मेरी नसीब और मेहनत में बनती ही नहीं, दोनों एक ही वक़्त पर कभी चलती ही नहीं।

 नाजाने किस मिटटी की बनी है, ये क़िस्मत मेरी पलटती ही नहीं।

दिल के कितने ही राजा हो जाओ, ज़िन्दगी क़िस्मत की ही मोहताज रहेगी।

जो भी मिला उससे गिला मिला, जिसे भी मौका मिला उससे मुझे धोखा मिला।

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